कानपुर
कानपुर-फर्रुखाबाद रेल सेक्शन के बीच ट्रेन पलटाने की साजिश रविवार देर रात नाकाम हो गई। नारामऊ-मंधना स्टेशन के बीच अराजकतत्वों ने ट्रैक की 40-50 क्लिप्स के अलावा जॉगल प्लेट्स खोल दीं। पटरी को भी काटा जा रहा था, लेकिन पट्रोलिंग टीम को देखकर कई लोग भाग निकले। कन्नौज की आरपीएफ पोस्ट में घटना की रिपोर्ट लिखाई गई है। नॉर्थ ईस्टर्न रेलवे के सीपीआरओ संजय यादव ने बताया कि पटरी पर फ्रेश कट के निशान मिले हैं।
रेलवे के मुताबिक, रविवार रात करीब 1:30 बजे पट्रोलिंग टीम कानपुर-फर्रुखाबाद रेल ट्रैक की जांच कर रही थी। तभी मंधना स्टेशन के पास पिलर नंबर 161 के पास पट्रोलिंग टीम को कुछ लोग खुराफात करते दिखे। घने कोहरे में किसी को कुछ समझ नहीं आया, लेकिन करीब पहुंचने के बाद सभी लोग भाग निकले। मौके से ट्रैक की 40-50 खुली हुई क्लिप्स, जोड़ों को मजबूत करने वाली 6 जॉगल प्लेट्स खुली हुईं मिलीं।
ब्लेड से पटरी को काटने की भी कोशिश हुई थी, लेकिन पेट्रोलिंग टीम की सतर्कता के कारण ऐसा नहीं हो सका। घटना की सूचना पर कानपुर सिटी पुलिस के अलावा आरपीएफ कन्नौज की टीम आई। आरपीएफ की कन्नौज पोस्ट के इंस्पेक्टर ने बताया कि रेलवे एक्ट में रिपोर्ट लिखी गई है। रेलवे अफसरों का कहना है कि ऐहतियातन इस सेक्शन में कॉशन लगा दिया गया है। ट्रेनें बेहद धीमी गति से गुजर रही हैं।
मंधना स्टेशन के पास रविवार देर रात पटरी काटने की घटना से पुलिस के होश उड़ गए हैं। सूत्रों का कहना है कि क्लिप खोलने जैसा काम नक्सली कर सकते हैं। यह विध्वंसक तरीका उनकी कार्यप्रणाली से मिलता-जुलता है। अक्टूबर-2015 में फर्रुखाबाद स्टेशन पर मिले टाइम बम केस को भी अब तक वर्कआउट नहीं किया गया है। हालांकि पुलिस नक्सली एंगल की बात खारिज कर रही है।
रविवार देर रात कानपुर-फर्रुखाबाद ट्रैक पर अराजक तत्वों ने क्लिप और जॉगल प्लेट्स खोलकर पटरी काटने की कोशिश की थी। खबर मीडिया में आने के बाद रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने इसे रीट्वीट किया था। कहा गया था कि पीएम मोदी की रैली के पहले यह ट्रेन को पलटने की एक और साजिश थी। इसकी गहराई से जांच कराई जाएगी। कानपुर रीजन में 20 नवंबर और 28 दिसंबर को दो बड़े रेल एक्सिडेंट हो चुके हैं।
गुनहगारों पर असमंजस
जानकारों का कहना है कि मंधना की तरह ही रूरा स्टेशन के पास कुछ साल पहले ऐसी ही एक वारदात हुई थी, लेकिन ट्रेन ड्राइवर की सतर्कता से बड़ा हादसा टल गया था। इसी तरह फर्रुखाबाद रेलवे स्टेशन पर अक्टूबर-2015 में टाइम बम मिला था। इस मामले को जीआरपी आज तक वर्कआउट नहीं कर सकी है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि यह नक्सलियों की खुराफात भी हो सकती है। वे समय देखकर कुछ बड़ी वारदात करने की फिराक में हैं, लेकिन कामयाब नहीं हो पा रहे हैं। पुखरायां और रूरा ट्रेन डिरेलमेंट में भी बार-बार ट्रैक फ्रैक्चर की ओर उंगली उठ रही है। साजिशकर्ता हर बार नई रेल लाइन चुन रहे हैं। फिलहाल ‘हल्के-फुल्के’ तरीकों से वे खुद को ‘टेस्ट’ कर रहे हैं। दूसरी तरफ जानकारों का कहना है कि नक्सली आमतौर पर आबादी वाले क्षेत्र से दूर रहते हैं। वे एक झटके में फटाफट वारदात करते हैं। हालांकि इस एरिया में कभी भी नक्सलियों की गतिविधियों के सबूत नहीं मिले हैं। काफी समय पहले कानपुर में कुछ नक्सल समर्थक गिरफ्तार किए गए थे।