लोअर हो या एलीट क्लास, गुमटी मार्केट सबके लिए खास


ऐसे शुरू हुआ था मार्केट
देश की आजादी के बाद पाकिस्तान से शरणार्थी कानपुर आए थे, उस समय टेरीकॉट का कपड़ा राशनिंग के हिसाब से मिलता था। रोजी रोटी तलाशते हुए लोगों ने रेलवे क्रॉसिंग के पास पेटी कारोबार शुरू कर दिया। कपड़े की दुकानें सडक़ पर लगाई जाने लगीं। कुछ साल बाद लोगों ने क्रॉसिंग के दूसरी तरफ रुख किया तो जमीन पर दुकाने लगने लगीं। व्यापार मंडल के उपाध्यक्ष नरेश भाटिया बताते हैैं कि उस समय खाली प्लॉट पड़े थे। धीरे-धीरे लोगों ने पहले किराए पर दुकानें ली उसके बाद अपनी दुकाने ले लीं। प्लॉट खरीद लिए, आज गुमटी बाजार में पैर रखने की जगह भी नहीं है। पेटी मार्केट धीरे-धीरे दर्शनपुरवा तक पहुंच गया।

400 से अधिक शॉप्स, शोरूम
इस मार्केट्स बाजार में लगभग 400 से अधिक शॉप्स, शोरूम हैैं। यहां के बिजनेसमैन की माने तो ऑनलाइन शॉपिंग ने उनकी दुकानदारी बिगाड़ रखी है। उसके बाद प्लास्टिक मनी ने। दूसरी बाद ये कि कानपुर का यूथ पढऩे लिखने के बाद सिटी में नहीं रहना चाहता, लिहाजा यूथ्स का कारोबार पूरी तरह से पलायन कर चुका है। यहां के कारोबारियों की माने तो आम दिनों में 20 हजार रुपये रोज का कारोबार हो जाता है। 400 दुकानों के हिसाब से 80 लाख रुपये प्रतिदिन का कारोबार होता है। फेस्टिवल टाइम में यही कारोबार दो से तीन गुने से ज्यादा हो जाता है। यहां के कारोबारियों ने बताया कि वे देशी कपड़ों को ज्यादा बेचते हैैं। विंटर कलेक्शन लुधियाना, पंजाब और समर कलेक्शन दिल्ली और चंडीगढ़ से आता है। स्थानीय कारीगर भी अब फैशन के मुताबिक ही कपड़ों को तैयार करते हैैं।

दूसरे जिलों से आते खरीदार
70 साल पहले पेटी बाजार से गुमटी बाजार के रूप में बदले इस बाजार में लगातार रौनक रहती है। यूं तो इस मार्केट में छोटी से छोटी चीज से लेकर बड़े से बड़े सामानों तक की शॉप्स हैैं, लेकिन यह रेडीमेड क्लाथ्स की मेन मार्केट है। किड्स से लेकर सीनियर सिटीजन तक यहां शॉपिंग करने आते हैैं। कन्नौज, फर्रुखाबाद, फतेहगढ़, कानपुर देहात, फतेहपुर और उन्नाव के कारोबारी यहां शॉपिंग के लिए आते हैैं। सिटी में भी अगर किसी को कपड़े खरीदने होते हैैं तो उसकी जुबान पर दूसरी मार्केट्स के साथ गुमटी बाजार का नाम भी सामने आता है।

बेहतरीन रेंज
अगर आप चाहते हैैं कि दुकानदार आपके साथ ठगी न करें, कुछ कहकर कुछ न दे। इसके बाद आप सुरक्षित रहकर दुकानदारी कर सकें। तो विजिट करिए गुमटी बाजार में। जहां मिलेगी आपके मन मुताबिक रेंज, गरबा, डांडिया, मैरिज और फेस्टिवल की बेहतरीन रेंज इस बाजार में आपका इंतजार कर रही है। बेहतरीन कलेक्शन और वाजिब दामों पर इस बाजार में उपलब्ध है।

भटकना नहीं पड़ता
आपको जानकर हैरानी होगी कि आप जितने रुपये में सिला-सिलाया सूट खरीदते हैैं उसके आधे दाम पर इस मार्केट में तीन दिन के अंदर आपकी फिटिंग का सूट सिलकर मिल जाएगा। कानपुर की कम मार्केट्स में ओवरसाइज कपड़े मिलते हैैं, लेकिन इस मार्केट्स में आपको ओवरसाइज रेडीमेड क्लाथ्स भी मिल जाएंगे। इस बाजार में ब्रांडेड से लेकर लोकल तक हर तरह की रेंज उपलब्ध है। खासकर मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए इस मार्केट में तमाम तरह के कपड़े मिल जाएंगे। किड्स से लेकर सीनियर सिटीजन तक हर किसी के लिए फैशन व लेटेस्ट वैराइटी से जुड़े क्लाथ्स पलक झपकते ही मिल जाएंगे।

इस बाजार की ये है खासियत
– फिक्स रेट पर मिलता सामान
– ज्यादातर दुकानों में सीसीटीवी कैमरे
– मार्केट के दोनों तरफ रहती है पुलिस पिकेट।
– नगर निगम के कंट्रोल रूम से मॉनिटरिंग

मार्केट की मुख्य समस्याएं
– मार्केट की सबसे बड़ी समस्या रेलवे क्रॉसिंग।
– व्हीकल पॉर्किंग न होने की वजह से मेन रोड पर जाम की समस्या
– मार्केट में न तो पिंक टॉयलेट्स हैं और न ही जेन्ट्स।
– ई-रिक्शा और ऑटो की वजह से लगता है जाम

एक नजर में गुमटी बाजार
– 70 साल पुरानी है गुमटी मार्केट
–400 से अधिक शॉप्स और शोरूम
– 80 लाख रुपए लगभग का डेली है बिजनेस

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